ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के लिए Good Friday का बहुत धार्मिक महत्व है। गुड फ्राइडे ईसा मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान की याद में मनाया जाता है। इसे भारत में रहने वाले ईसाई समुदाय के सभी लोग शोक के तौर पर मनाते हैं। गुड फ्राइडे के नाम में Good ज़रूर आता है लेकिन ये खुशी का दिन नहीं है। इसलिए गुड फ्राइडे के दिन लोगों को ‘Happy Good Friday’ का संदेश या शुभकामना नहीं भेजना चाहिए। आज हम आपको बताने जा रहे हैं गुड फ्राइडे की पूरी कहानी
गुड फ्राइडे शोक और तपस्या का दिन है
न्यू टेस्टामेंट के मुताबिक गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह को रोमन साम्राज्य में सूली पर चढ़ाया गया था। यीशु का दावा है कि वो ईश्वर के पुत्र हैं। इसलिए उन पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया। यहूदी धार्मिक अधिकारी यीशु के इस तरह के बयानों से नाराज थे। इसलिए उन्होंने रोमन साम्राज्य के अधिकारियों के सामने पेश किया। रोम के गवर्नर पोंटियस पिलाट ने ईसा मसीह को फांसी देने का आदेश दिया।
द जूडस किस क्या है?
यहूदा नाम के शख्स ने उन्हें रोमन सैनिकों के हाथों गिरफ्तार कराया। इसके इनाम के तौर पर उन्हें चांदी के 30 सिक्के दिए गए। उसने रोमन सैनिकों को बताया कि वो जिसे चूमेगा वही यीशु हैं और उन्हें हिरासत में ले लिया जाए। इसे घटना को प्रसिद्ध पेंटर गुस्ताव डोरे की प्रसिद्ध पेंटिंग “द जूडस किस” में दिखाया गया है।
क्रूस पर चढ़ाए जाने के दिन यीशु खुद क्रॉस को उस जगह तक लेकर गए जहां उन्हें सूली पर चढ़ाया जाना था। यीशु की कलाइयों और टखनों से कीलें गाड़ी गईं। उन्हें मृत्यु होने तक क्रूस पर रखा गया।
यीशु के पुनर्जीवित होने पर मनाया जाता है ईस्टर
गुड फ्राइडे को ईसाई यीशु के बलिदान दिवस के तौर पर याद करते हैं। गुड फ्राइडे के एक दिन बाद ईस्टर आता है। ये दिन यीशु के फिर से जीवित होने की याद दिलाता है।