कांवड़ यात्रा का आगाज़ हो चुका है। ऐसे में दिल्ली, यूपी, हरियाणा सहित तमाम राज्यों से कांवड़िए हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर गंगाजल लेने पहुंच रहे हैं। मानसून की बारिश के बाद गंगा नदी में तेज़ बहाव की वजह से गंगाजल लेते वक्त कई कांवड़िए बह गए रहे हैं।
आशिक अली ने बचाई कावड़िए की जान
ऐसा ही एक वाक्या बुधवार को हुआ जब गंगाजल लेते वक्त एक कांवड़िया गंगा के तेज बहाव में बह गया। गंगाजल लेने की जल्दबाज़ी में हरियाणा के रहने वाले 22 साल के मंजीत ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी और वो तेज़ धार में बहने लगे।
ये कावड़िया डूब रहा था लेकिन तभी SDRF के जवान आशिक अली की उसपर नज़र पड़ गई। आशिक अली अपनी राफ्ट पर गश्त कर रहे थे। उन्होंने 22 साल के मंजीत को नदी में डूबते देखा तो अपनी राफ्ट को तेज़ी से उसकी ओर मोड़ दिया।
जान की बाज़ी लगाई
आनन-फानन में वो तेज़ी से मंजीत के करीब पहुंचे और उसे पकड़ लिया। आशिक अली ने मंजीत को बचाने में अपनी जान की भी परवाह नहीं की। इस दौरान सैकड़ों लोग इस मंजर को किनारे से खड़े होकर देख रहे थे और मंजीत की जान बचने की दुआ कर रहे थे। आशिक अली ने पूरी ताकत से संजीत को खींचकर अपनी राफ्ट पर सवार कर लिया और आराम से नदी से बाहर निकालकर ले आए।
हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की
जान बचने के बाद संजीत ने आशिक अली और SDRF का शुक्र अदा किया। यहां ये मंज़र देखने वाला हर शख्स SDRF और आशिक अली की दिल खोल कर तारीफ कर रहा है। आशिक अली ने अपनी जान की परवाह किए बगैर कावड़िया की जान तो बचाई ही साथ ही उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल भी कायम की।
सांप्रदायिक संगठनों को तमाचा
ये ख़बर इसलिए भी अहम है क्योंकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कुछ सांप्रदायिक संगठन रैलियां निकालकर मुस्लिम समुदाय के लोगों को प्रदेश छोड़ने की चेतावनी दे रहे हैं। ये धर्मांध लोग हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ने के लिए राजनीति कर रहे हैं ताकि चुनाव में एक पार्टी को फायदा हो सके। भारत गंगा-जमुनी तहज़ीब की अनोखी मिसाल है।
नफरत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान
यहां सभी धर्मों के लोग सदियों से एक साथ रहते आए हैं और दुख-सुख में एक दूसरे का साथ देते आए हैं लेकिन नफरत की आंधी ने मोहब्बत का दिया बुझाने की कोशिश की लेकिन ये दिया सदियों से चल रहा है और ये ऐसे ही जलता रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेम, भाईचारे और एकता का संदेश देता रहेगा।