मथुरा-काशी के बाद अब इस मस्जिद पर नज़र !

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बदायूं मस्जिद
बदायूं की जामा मस्जिद पर विवाद करने की कोशिश !

बदायूं | वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के बाद अब एक और मस्जिद पर अखिल भारतीय हिंदू महासभा कार्यकर्ताओं की नज़र है।

अखिल भारतीय हिंदू महासभा राज्य संयोजक मुकेश पटेल ने बदायूं की जामा मस्जिद के असल में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का कथित दावा किया है।

मुकेश पटेल ने बदायूं की स्थानीय अदालत में इसे लेकर एक अर्जी भी दाखिल की है। मुकेश पटेल की याचिका पर बंदायू कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता मुकेश पटेल ने दावा किया है कि बदायूं की जामा मस्जिद परिसर एक समय पर हिंदू राजा महिपाल का किला हुआ करता था।

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बदायूं मस्जिद या नीलकंठ मंदिर
बंदायू की जामा मस्जिद के नीलकंठ मंदिर होने का दावा पेश किया गया 

इतिहास की जानकारी के अनुसार बदायूं की जामा मस्जिद को अल्तमश (इल्तुतमिश) ने अपनी बेटी रजिया सुल्ताना के जन्मदिन पर बनवाया था।

मस्जिद को अज़ीमुशन जामा मस्जिद भी कहा जाता है। ये 800 साल पुरानी मस्जिद है, जो भारत की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है। इस मस्जिद का निर्माण 1210 ई. में शुरू हुआ और 1223 ई. में पूरा हुआ।

याचिका पर सीनियर डिवीजन सिविल जज विजय कुमार गुप्ता ने जामा मस्जिद वितरण समिति, सुन्नी वक्फ बोर्ड, केंद्र और यूपी सरकार के पुरातत्व विभाग, बदायूं के जिलाधिकारी और यूपी सरकार के प्रमुख सचिव को नोटिस किया है। सभी पक्षों को 15 सितंबर तक या उससे पहले अपना जवाब दाखिल करने के आदेश दिया है।

बंदायू कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत ऐसे मामलों में सुनवाई पर रोक लगाने के बावजूद याचिका को स्वीकार किया है।

पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थान की स्थिति को बदला नहीं जा सकता है। इस कानून का एकमात्र अपवाद बाबरी मस्जिद थी क्योंकि इस मामले में ब्रिटिश काल के दौर से एक अदालती केस चल रहा था।

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