दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े साजिश के मामले में आरोपी उमर खालिद की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है।जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की स्पेशल बेंच ने कहा कि हमें जमानत अर्जी की अपील में कोई दम नहीं लगता है और ये अपील खारिज की जाती है।
उमर खालिद पर क्या केस है ?
उमर खालिद ने निचली अदालत के बेल याचिका खारिज करने के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र रहे उमर खालिद दिल्ली दंगों में एक बड़े षड्यंत्र के केस में आरोपी हैं।
उमर खालिद पर आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत केस दर्ज किया गया है। उमर खालिद को 13 सितंबर, 2020 को अरेस्ट किया गया था वो तभी से जेल में हैं।
उमर खालिद के वकील ने क्या दलील दी ?
वरिष्ठ वकील त्रिदीप पेस ने जमानत याचिका के लिए तर्क दिया कि आपराधिक कृत्य करने के लिए दो या दो से ज्यादा लोगों में सहमति होनी चाहिए तभी इसे आपराधिक साजिश माना जाएगा। अलग-अलग व्यक्तियों के स्वतंत्र कृत्यों को साजिश नहीं माना जा सकता है।
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वरिष्ठ वकील पेस ने ये भी कहा कि एक सह-आरोपी और खालिद के भाषण में ट्रिपल तलाक, कश्मीर और अन्य मुद्दों का संदर्भ था मगर ये संदर्भ सीएए कानून का विरोध करने के लिए इस्तेमाल किए गए। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक कानून, सीएए या जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करना अवैध है? पूर्व जज समेत बहुत से लोगों ने इन कानूनों के खिलाफ अपने विचार रखे हैं।
उमर खालिद के अमरावती में दिए गए भाषण के बारे में उन्होंने कहा कि उस भाषण के बाद हिंसा की कहीं घटना नहीं हुई। ये बात कहीं से सामने नहीं आई है कि उस भाषण के बाद कोई हिंसा हुई हो। उन्होंने ये भी कहा कि चक्का जाम करने से कोई कृत्य को आपराधिक नहीं बना जाता है।
उमर के वकील त्रिदीप ने कहा कि उनका मुवक्किल पिछले 2 सालों से सिर्फ बयानों के आधार पर जेल में है। इस मामले में 4 चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी अब तक जांच जारी है।
सरकारी वकील ने क्या तर्क दिए ?
इस पर दिल्ली पुलिस ने अपनी दलील में कहा कि उमर खालिद दिल्ली दंगों में हिंसा शुरू होने से पहले 23 फरवरी को दिल्ली से चला गया ताकि उस पर शक न किया जाए।
सरकारी वकील अमित प्रसाद ने तर्क दिया कि उमर खालिद ने अमरावती में लोगों को 24 फरवरी, 2020 को चक्का जाम करने के लिए रोड पर रहने को कहा था। उन्होंने ये कहा था कि चक्का जाम अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प को ये बताने के लिए जरूरी है कि सीएए एक खतरनाक मुस्लिम विरोधी कानून है।
उमर के वकील त्रिदीप पेस ने कहा कि आरोप पत्र में कुछ ठोस नहीं है, आरोपों का कोई मजबूत आधार नहीं है। आरोप पत्र सिर्फ अफवाह पर आधारित है।