Delhi News : दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय युवा शोधकर्ता सम्मेलन 2024 का आयोजन हुआ। हाइब्रिड मोड में हुए इस सम्मेलन का मुख्य विषय था “भारतीय और विदेशी भाषाओं के संदर्भ में आज के अनुसंधान”।
दीप प्रज्वलन के साथ सम्मेलन का आगाज़ हुआ जिसकी मेज़बानी डॉ. मर्सी ग्योते ने की। सम्मेलन निर्देशक एवं भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन संस्थान की विभागाध्यक्ष प्रो. शोभा सिवसंकरण ने इस कार्यक्रम को सीखने और सूचनाओं के आदान-प्रदान का मंच बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे मंच उभरते शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को अपने शैक्षणिक योगदान का प्रदर्शन करने, विचार साझा करने और साथी शोधकर्ताओं और सहकर्मियों के साथ मिलकर काम करने का अवसर प्रदान करते हैं।
350 शोधपत्रों में से 121 को प्रस्तुति के लिए चुना गया
नीमिता आर्य और कौसर जहां के मुताबिक सहायक प्रोफेसर डॉ. सोनू सैनी ने सम्मेलन के लक्ष्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कुल 350 शोधपत्रों में से 121 को प्रस्तुति के लिए चुना गया। इस दौरान सार-पुस्तक का विमोचन भी किया गया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. रविकेश ने भारतीय और विदेशी भाषाओं में शोध के हालिया रुझानों पर प्रकाश डाला।
विशिष्ट अतिथि प्रो. धनंजय सिंहने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सहयोगात्मक कार्य के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रो. अशोक चावला, सलाहकार (जापान), विदेश मंत्रालय भारत ने अपने भाषण में कुशलतापूर्वक अनुसंधान करने पर विभिन्न विचारों, रणनीतियों, कार्यों को साझा किया।
प्रो. उदय नारायण सिंह, कला संकाय अध्यक्ष, एमिटी स्कूल आफ लैंग्वेजेस गुड़गांव ने अपने भाषण में अनुसंधान में विचारणीय नैतिकता और विभिन्न प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की। कोरियाई भाषा केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. सत्यांशु श्रीवास्तव ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और सभी का आभार व्यक्त किया।
पहले सत्र में 60 से अधिक शोधपत्र
सुमिषा शर्मा ने बताया की पहले सत्र में 60 से अधिक शोधकर्ताओं ने अपने ज्ञानवर्धक शोधपत्र प्रस्तुत किये। सम्मेलन में भाषा और उसकी पहचान, साहित्य और सामाजिक परिवर्तन, अनुवाद तकनीक जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
पहले दिन तमाम सत्रों की अध्यक्षता प्रो. पौथांग हाओकिप, डॉ. अलाउद्दीन शाह, प्रो. रंजना बनर्जी, डॉ. शाहबाज़ आमिल, प्रो. आर. थामोथरन, डॉ. लवी श्रीवास्तव, प्रो. रोज़ी सिंह, डॉ. योगेश कुमार राय और डॉ. हरि माधव रे समेत तमाम प्रोफेसर्स ने की।
दूसरे दिन 62 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत
दूसरे दिन 62 से अधिक शोधकर्ताओं ने अपने विद्वत्तापूर्ण शोधपत्र प्रस्तुत किए। इन सत्रों में विविध व्यापक विषयों पर चर्चा की गई जिसमें सांस्कृतिक विविधता और समावेश शामिल है, जो सांस्कृतिक विविधता के प्रभाव और विभिन्न समुदायों और समाजों के लिए इसकी चुनौतियों और लाभों का विश्लेषण करता है।
दूसरे दिन तमाम सत्रों की अध्यक्षता प्रो. साधना नैथानी, डॉ. लिपि विश्वास सेन, डॉ. विनय कुमार गुप्ता, प्रो. बाबू थलियाथ, श्री संतोष कुमार रंजन, प्रो.अख़लाक़ अहमद , श्री संजय कुमार झा, डॉ. मर्सी वी. ग्योते, डॉ. कौशल कुमार और डॉ. अनिल कुमार सिंह समेत तमाम प्रोफेसर्स ने की।
सम्मेलन के समापन के दौरान प्रो. शोभा सिवसंकरण ने धन्यवाद ज्ञापन पेश किया। निर्देशक ने आयोजन समिति के सदस्यों प्रो. आर. थामोथरन, डॉ. राजेश पासवान, डॉ. गौरव कुमार, डॉ. विनय कुमार गुप्ता, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. गौस मशकूर खान, डॉ. मर्सी वी. ग्योते, डॉ. अरिहंत कुमार वर्धन, डॉ. सत्यांशु श्रीवास्तव, डॉ. सोनू सैनी की सराहना की ।
ये सम्मेलन भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान, तमिल अध्ययन केंद्र, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएसएसआर), वी.के. ग्लोबल पब्लिकेशन, गोयल पब्लिकेशन एवं लैंगर्स इंटरनेशनल के सहयोग से हुआ।