Delhi News | दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में रविवार (25 अगस्त 2024) को ‘सक्षम’ ने प्रांत कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मकसद कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाना था। कार्यक्रम में AIIMS के अनुसंधान डीन और डॉ. आर.पी. सेंटर फॉर ऑप्थलमिक साइंसेज के प्रमुख डॉ. जे.एस. टिटियाल ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। डॉ. टिटियाल ने राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता पखवाड़े (25 अगस्त से 8 सितंबर) का उद्घाटन भी किया।
टिटियाल ने नेत्रदान जागरुकता पखवाड़े पर अपने विचार रखे
अपने प्रेरणादायक संबोधन में डॉ. जे.एस. टिटियाल ने नेत्रदान और कॉर्निया प्रत्यारोपण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये दृष्टिहीन लोगों को दृष्टि का उपहार देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान में प्रगति के बावजूद, कॉर्निया प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे लोगों की संख्या और नेत्रदान करने वाले लोगों की तादाद में बड़ा बड़ा अंतर है। उन्होंने नेत्रदान कार्यक्रमों, जागरूकता और सक्रिय भागीदारी की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
डॉ. टिटियाल ने स्कूल के पाठ्यक्रम में अंगदान पर एक अध्याय शामिल करने के लिए शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस कार्यक्रम में आए लोगों से नेत्रदान को लेकर जागरुकता फैलाने का आह्वान किया।
प्रांत प्रचारक विशाल की ‘मॉडल वालंटियर’ पर प्रेरणादायक प्रस्तुति
दूसरे सत्र में मॉडल वालंटियर सत्र के दौरान प्रांत प्रचारक विशाल ने ‘मॉडल वालंटियर’ पर एक प्रेरणादायक प्रस्तुति दी। उन्होंने एक सच्चे स्वयंसेवक बनने के लिए समर्पण, सहानुभूति और प्रतिबद्धता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि एक सच्चा स्वयंसेवक वही होता है जो समाज के कल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से अपना समय और प्रयास समर्पित करता है। उन्होंने स्वयंसेवकों को समाज की जरूरतों को पहचानने और उसके लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रशिक्षण के सभी विषयों को 4 सत्रों में पूरा किया गया। इस में राष्ट्रीय अधिकारियों के साथ ही प्रांत के सभी कार्यकर्ताओं ने अहम भूमिका निभाई।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय संरक्षक डॉ दयाल सिंह पवार, राष्ट्रीय कोक्षाध्यक्ष सतीश अग्रवाल और विशेष आमंत्रित सदस्य ललित आनंद ने अपने अनुभव सांक्षा किए। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभाग की पूर्व अध्यक्षा प्रो श्रीमती सुजाता त्रिपाठी भी मौजूद रहीं। कार्यक्रम में प्रांत के सभी 11 जिलों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।