Dushyant Kumar Inspirational Poems | आज Khabar Click आपके लिए लेकर आया है क्रांतिकारी कवि दुष्यंत कुमार की प्रेरणादायक कविता मत कहो आकाश में कोहरा घना है, ये किसी की व्यक्तिगत आलोचना है। दुष्यंत कुमार एक निर्भीक कवि थे और उन्होंने जनता के दुख दर्द को बेबाकी के साथ सत्ता के सामने अपनी कविताओं के माध्यम से रखा। ये कविता आज के दौर में बहुत प्रासंगिक है क्योंकि हम देख रहे हैं की गोदी मीडिया के दौर में पत्रकार, साहित्यकार, लेखक और गायक कैसे सरकार की चरण पादुकाएं अपने सिर पर ढो रहे हैं। वो अपनी नैतिक, साहित्यिक और पेशेवर जिम्मेदारियां भूल चुके हैं। तो ये कविता उन डरे हुए गीतकारों के नाम है, जो एक अदद पदम् अवार्ड लेकर सत्ता को भगवान मानकर दिन रात कीर्तन में जुटे हुए हैं। ये कविता सत्ता के सताए हुए निराश लोगों में भी जोश भरने का काम करती है तो चलिए शुरू करते हैं।
मत कहो आकाश में कोहरा घना है
ये किसी की व्यक्तिगत आलोचना है
सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से
क्या करोगे सूर्य का क्या देखना है,
इस सड़क पर इस कदर कीचड़ बिछी है
हर किसी का पांव घुटनों तक सना है
पक्ष और प्रतिपक्ष संसद में मुखर हैं
बात इतनी है की कोई पुल बना है
रक्त बरसों से नसों में खौलता है
आप कहते हो क्षणिक उत्तेजना है
हो गई हर घाट पर पूरी व्यवस्था
शौक से डूबे जिसे भी डूबना है
दोस्तों अब मंच पर सुविधा नहीं है
आज-कल नेपथ्य में संभावना है
आपको ये कविता कैसी लगी हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं।
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