Gehlot presents Old Budget | गहलोत की भूल पर सचिन पायलट को मिला उंगली उठाने का मौका !

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Gehlot Presents Old Budget | भारत के संसदीय इतिहास में जो कभी नहीं हुआ वो राजस्थान विधानसभा में हो गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में पिछले साल का बजट भाषण पढ़ दिया। कुछ देर तक वो पुराना बजट पढ़ते रहे, इस बीच जलदाय मंत्री महेश जोशी ने CM गहलोत के कान में कुछ कहा तो वो ठिठक गए। 

गहलोत ने अपना भाषण रोक दिया। पता लगा कि गहलोत तो पिछले साल का भाषण पढ़ रहे थे। फिर क्या था विपक्ष ने विधानसभा में ज़बरदस्त हंगामा कर दिया। बीजेपी ने गहलोत सरकार पर बजट की गोपनीयता भंग करने और बजट लीक करने का आरोप लगाया। हंगामा रुकता न देख स्पीकर सीपी जोशी ने विधानसभा स्थगित कर दी। कुछ देर बाद कार्यवाही शुरू हुई तो बीजेपी ने फिर हंगामा किया। 

नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने मांग की कि राज्यपाल से फिर से अनुमति लेकर किसी और दिन बजट पेश किया जाए। इस बीच स्पीकर सीपी जोशी ने गहलोत से हुई ग़लती को मानवीय भूल बताते हुए माफी मांगी लेकिन बीजेपी फिर भी शांत नहीं हुई। विपक्षी सदस्यों ने वेल में नारेबाजी की। इसके बाद दूसरी बार विधानसभा की कार्यवाही स्थगित हुई। 

इस बीच मुख्यमंत्री गहलोत ने मुख्य सचिव ऊषा शर्मा को तलब किया और अफसरों की लापरवाही पर नाराजगी जताई। विधानसभा की कार्रवाही फिर शुरू हुई तो सीएम गहलोत ने अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि बजट भाषण में एक एक्स्ट्रा पेज लग गया था। उन्होंने बजट की गोपनीयता भंग होने की बात से इनकार किया। गहलोत ने कहा कि वसुंधरा राजे ने भी अपने बजट में ग़लती से ग़लत आंकड़े बताए थे तब कांग्रेस ने हंगामा तो नहीं किया था। 

विपक्ष की मांग पर सीएम गहलोत ने मानवीय भूल के लिए माफी मांगी। गहलोत से माफी मंगवाने के बाद बीजेपी विधायक शांत हुए। इसके बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने तीसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश किया। अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर इतनी नासमझी वाली ग़लती कैसे हुई?

 इस ग़लती के लिए सीएम गहलोत से ज्यादा वित्त विभाग के अधिकारी जिम्मेदार हैं जिनकी वजह से सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ा। सीएमओ अपनी तरफ से इस मामले की जांच कर रहा है कि इस घटना के पीछे चूक थी या साजिश। फिलहाल सीएम गहलोत से हुई इस चूक से बीजेपी को सरकार की कार्यकुशलता पर उंगली उठाने का मौका मिल गया है। साथ ही सचिन पायलट को भी मौका मिल गया है कि वो कह सकें कि गहलोत अब रिटायरमेंट लें और नए युवा नेतृत्व को मौका दें। 

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