हरियाणा – ग्रीष्मकालीन अवकाश से (खून)पहले ही शिक्षा विभाग को स्वास्थ्य विभाग की ओर से 20 लाख के करीब आयरन फॉलिक एसिड गोलियां प्रदान की गई हैं। जिन्हें शिक्षा विभाग द्वारा 96 मीडिल स्कूल, 54 हाई स्कूल व 96 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में वितरित किया जाएगा। इन सभी गोलियों को गर्मी की छुट्टियों से पहले ही स्कूलों में वितरित करने का लक्ष्य है। इनसे बच्चों को एनीमिया रोग से छुटकारा मिलेगा।
बताकें कि राष्ट्रीय एनीमिया मुक्त भारत अभियान के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले की 246 स्कूलों के कक्षा 6 से 12वीं तक के 38 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों (10 से 19 साल) को साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड गोलियां खिलाई जाएंगी। जिससे विद्यार्थियों के खून में आयरन की कमी दूर होगी। स्वास्थ्य विभाग ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों के कार्यालयों में ये गोलियां वीरवार को पहुंचा दी, जहां से इन्हें सभी स्कूलों में वाहनों के जरिए दो दिन के अंदर भेज दिया जाएगा। इन सभी गोलियों को स्कूलों में बच्चों की संख्या के हिसाब से वितरित किया जाएगा। हालांकि अभी इनको स्कूलें स्टॉक कर रखेंगी, जो प्रत्येक बुधवार को बच्चों में वितरित करेंगी। गर्मी की छुट्टियों के बाद से इन गोलियां को वितरित करना शुरु किया जाएगा।
बच्चों के खून में कितनी होनी चाहिए आयरन की मात्रा
एक स्वस्थ्य बच्चे के खून में आयरन की मात्रा 11 मिलीग्राम होनी चाहिए। अगर यह आयरन की मात्रा 11 से गिरकर 7 मिलीग्राम तक पहुंचती है तो इसे एनीमिया कहते हैं। अगर किसी बच्चे के शरीर में 7 मिलीग्राम से भी नीचे आयरन की मात्रा पाई जाती है तो ऐसे में गंभीर एनीमिया माना जाता है।
फास्टफूड कल्चर ने बढ़ाई एनीमिया की कमी
समाज में फास्टफूड का कल्चर इतना बढ़ गया है कि बचपन से ही बच्चों को बर्गर, पिज्जा या अन्य चीजें खिलाई जाती हैं। पहले लोहे की कढ़ाई में खाना पकाया जाता था जो अब स्टील की कढ़ाई में पकाना शुरु कर दिया है। इन सबकी वजह से बच्चों के खून में आयरन (लोहा) की कमी हो रही है, जोकि उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक है। यह गोली बच्चों के खून में आयरन की मात्रा को स्थिर करेगी। जिससे बच्चों के स्वास्थ्य में भी सुधार आएगा और उनका पढ़ाई में भी मन लगेगा।
प्रत्येक बुधवार को खिलाई जाएगी गोली
जिले में कक्षा 6 से 12वीं तक के लिए अभी 20 लाख ही गोलियां आई हैं। जल्द पहली से लेकर पांचवीं तक के विद्यार्थियों के लिए भी आने की उम्मीद हैं। इन गोलियों को स्कूलों द्वारा प्रत्येक बुधवार को बच्चों में वितरित किया जाएगा। इनके लिए स्कूलों में हेल्थ वेलनेस एंबेसडर बनाया हुआ है जिन्हें इनकी जिम्मेदारी दी गई है।
छह महीने में खिलाई जाती हैं एल्बेंडाजोल की गोलियां
बता दें कि छह महीने में एक बार बच्चों को पेट में कीड़े मारने वाली दवा यानी एल्बेंडाजोल की गोलियां भी खिलाई जाती हैं। एल्बेंडाजोल की गोलियां सरकारी और निजी दोनों ही स्कूलों के विद्यार्थियों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाती हैं। जबकि आयरन की गोलियां केवल सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को ही मिलती है।
वर्जन:
जिले के सरकारी स्कूलों के कक्षा 6 से 12वीं तक के बच्चों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा 20 लाख आयरन फॉलिक एसिड गोलियां प्रदान की गई हैं। इन्हें जल्द स्कूलों में वितरित किया जाएगा। इनसे बच्चों के खून में आयरन की मात्रा को स्थिर किया जा सकेगा।
– सत्यपाल सिंह धूपिया, खंड शिक्षा अधिकारी रेवाड़ी।
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