Karnataka News: भारत अनेकताओं और अनूठी परंपराओं का देश है। एक तरफ सूखे से निपटने के लिए IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बरसात का सफल परीक्षण किया है वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक के मांड्या ज़िले में बारिश के लिए ऐसा काम किया गया जिसे सुनकर आपको ताज्जुब होगा। कर्नाटक के मांड्या जिले में बरसात के देवता इंद्र को खुश करने के लिए दो लड़कों की आपस में शादी कराई गई।
2 लड़कों को बनाया गया दुल्हा-दुल्हन
कृष्णराजपेट तालुका के गंगेनहल्ली गांव में पिछले साल की तुलना में इस साल बहुत कम बारिश हुई है। सूखे के डर से परेशान गांव वालों ने अच्छी बारिश के लिए शुक्रवार की रात दो लड़कों की शादी करा दी। एक लड़के को दूल्हे के तौर पर सजाया गया जबकी दूसरे लड़के का मेकअप करके उसे दुल्हन बनाया गया।
शादी के बाद दावत भी हुई
दुल्हन ने गहने और चमकदार साड़ी पहनी। इसके बाद गाजे-बाजे के साथ नांच गाना हुआ और विधि विधान से दोनों की सांकेतिक तौर पर शादी कराई गई। बारिश विवाह के बाद उनका रिसेप्शन भी किया गया और गांव में दावत हुई। लोगों ने बारिश की कमी को पूरा करने के लिए बारिश के देवता से प्रार्थना की थी।
इस गांव के लोग बारिश नहीं होने पर पहले भी पुरानी और दकियानूसी परंपराओं का सहारा लेते रहे हैं। यहां के लोग बारिश के देवता को खुश करने के लिए कई और अजीबो-गरीब परंपराओं का पालन करते हैं।
‘बरसात विवाह’ हुई बारिश?
बारिश के लिए आपने मेढक और मेढकी की शादी करने की तमाम खबरें भी देखी होंगी। अब सवाल ये पैदा होता है कि 21वीं सदी के भारत में बारिश के लिए 2 लड़कों की शादी कराना कितना उचित है। क्या लडकों या मेढंकों की शादी कराने से बारिश होती है। आज़ादी के 75 साल बाद भी भारत इतना पिछड़ा हुआ है कि लाखों लोग बारिश के लिए आज भी ऐसी परंपराओं का पालन करते हैं। ऐसे में जो लोग भारत के विश्वगुरू बनने का दावा करते हैं उन्हें थोड़ा सोचना चाहिए।