कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक “क्रूर आदमी” माना, लेकिन उन्होंने राज्यसभा में आजाद के विदाई भाषण के दौरान आतंकवाद से संबंधित एक घटना को याद करते हुए ‘मानवता का परिचय’ दिया।
आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि वो “Modi-fied” थे। आपको बता दें कि पिछले साल फरवरी में राज्यसभा में मोदी ने अपने भाषण के दौरान भावुक होते हुए गुलाम नबी आजाद को अपना सच्चा दोस्त बताया था। इसके बाद से कांग्रेस के कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद पर निशाना साधा था
पत्रकारों से बात करते हुए आजाद ने कहा कि उनके राज्यसभा से फेयरवेल के दौरान मोदी के भावनात्मक भाषण को कुछ “अनपढ़” कांग्रेसियों द्वारा एक अलग मोड़ दिया गया। गुलाम ने कहा कि सदन में व्यक्त हुई भावनाएं आतंकी घटना के बारे में थीं, न कि एक दूसरे के बारे में।
उन्होंने गुजराती सैलानियों कि बस में हुए ग्रेनेड विस्फोट की घटना बताते हुए कहा, “मैंने मान लिया था कि मोदी साहब एक असभ्य व्यक्ति थे क्योंकि उनके बच्चे या उनका अपना परिवार नहीं था और वो परवाह नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने मानवता दिखाई।”
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब गुजरात के मुख्यमंत्री ने फोन किया, तो मैं जोर-जोर से रो रहा था। उन्होंने मुझे रोते हुए सुना। उन्हें बताया गया कि मैं बात नहीं कर सकता हूं क्योंकि जो घायल हुए हैं उनका इलाज कराना है।
आजाद ने कहा, “जब मैंने मुख्यमंत्री से दो विमान भेजने के लिए बात की, एक मृतकों के लिए और दूसरा घायलों के लिए और मैं फिर रोने लगा … तो वो मेरे प्रदेश का जिक्र करते हुए भावुक हुए।”
राज्यसभा में मोदी के भावुक होने को याद करते हुए आजाद ने कहा कि जब पीएम मोदी ने उस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया के बारे में बात की तो वो भी टूट गए।
आजाद ने राहुल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल ने संसद में मोदी को गले लगाया था, उन्होंने नहीं।
कांग्रेस की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर, आजाद ने कहा कि मोदी केवल एक बहाना है और जब से उन्होंने और 22 अन्य कांग्रेसियों ने अगस्त 2020 को सोनिया गांधी को पत्र लिखा और उनके कामकाज के तरीके को चुनौती दी, तब से वो भड़क गए हैं।
उन्होंने पार्टी में बड़े पैमाने पर सुधार की मांग करने वाले जी-23 असंतुष्ट समूह की ओर से भेजे गए पत्र का जिक्र किया।
आजाद ने ये आरोप लगाया कि उन्हें अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि उनकी नहीं सुनी गई।
उन्होंने कहा कि उस पत्र के बाद कई बैठकें हुई और हमने सोनिया जी के सामने अपने विचार रखे लेकिन हमारे सुझाव पर कोई अमल नहीं हुआ।
आजाद ने कहा कि वो जी-23 के पत्र लिखने से पहले और बाद में छह दिन तक नहीं सोए क्योंकि उन्होंने पार्टी के लिए खून दिया है।