Oxfam Report | भारत में सबसे अमीर 1% लोगों के पास देश की कुल 40% संपत्ति से ज्यादा है, जबकि सबसे गरीब 50% आबादी के पास केवल 3% धन है। ये बात दावोस में World Economic Forum में ऑक्सफैम इंटरनेशनल (Oxfam Int’l) की वार्षिक असमानता रिपोर्ट के भारतीय विशेषांक में सामने आई है।
ऑक्सफैम (Oxfam report) ने कहा है कि भारत में अरबपतियों की कुल संख्या साल 2020 में 102 से बढ़कर साल 2022 में 166 हो गई। ऑक्सफैम ने कहा कि कोरोना महामारी की शुरुआत से नवंबर 2022 तक भारत में अरबपतियों की संपत्ति में 121% इज़ाफा हुआ यानी 3,608 करोड़ रुपये प्रति दिन के हिसाब से वृद्धि हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की कुल संपत्ति 660 अरब डॉलर यानी रु 54.12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। ये रकम इतनी ज्यादा है कि इससे 18 महीने तक पूरा केंद्रीय बजट संभाला जा सकता है।
📢 New report alert!
. @OxfamIndia's latest report, 'Survival of the Richest: The India story' deep dives into staggering inequality in India.
The richest 21 Indian billionaires now have more wealth than 70 crore Indians.Link- https://t.co/DPCnEvYrrB#InequalityIsUnacceptable pic.twitter.com/o14P6n7IVO
— Oxfam India (@OxfamIndia) January 16, 2023
ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने कहा कि भारत के 10 सबसे अमीर लोगों पर अगर 5% कर लगा दिया जाए तो सभी ड्रॉपआउट बच्चों की शिक्षा का इंतज़ाम हो सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक अगर सिर्फ एक अरबपति गौतम अडानी के साल 2017-2021 तक हुए लाभ (अप्राप्त) पर एक बारगी टैक्स से 1.79 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं जिससे एक साल तक 50 लाख से ज्यादा स्कूलों के टीचर्स की तनख्वाह दी जा सकती है।
‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट’ के नाम से छापी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के अरबपतियों की पूरी संपत्ति पर 2% की टैक्स लगा दिया जाए तो 3 सालों में भुखमरी को दूर करने के लिए 40,423 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं।
Read this|मोदी सरकार पर किसने लगाया Activists-पत्रकारों पर हमले, अल्पसंख्यकों से भेदभाव का आरोप?
देश के 10 सबसे अमीर अरबपतियों पर 5% का एक बारगी टैक्स लगाकर ₹1.37 लाख करोड़ जुटाए जा सकते हैं जिससे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और आयुष मंत्रालय का पूरा बजट आसानी से चलाया जा सकता है।
भारत में लैंगिक असमानता पर रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस काम के लिए पुरुष मज़दूर को 100 रुपये मिलते हैं, उसी काम के लिए महिला श्रमिक को केवल 63 रुपये दिए जाते हैं।
आय की असमानता अगड़ों, पिछड़ों और अनुसूचित जातियों में भी पाई गई है। साल 2018 और 2019 में अगड़ों के 100% के मुकाबले अनुसूचित जातियों के लोग 55% पैसा ही कमा पाए जबकि ग्रामीण मज़दूर सिर्फ 50% ही कमा पाए।
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि साल 2021-22 में कुल ₹14.83 लाख करोड़ की GST का करीब 64% हिस्सा नीचे की 50% आबादी से जुटाया गया है जबकि केवल 3% GST अमीर 10% लोगों से आया है।
ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा है कि भारत में ऐसी व्यवस्था बन गई है जिसमें दलित, आदिवासी, मुस्लिम, महिलाएं और अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूर पीड़ित हैं। इस व्यवस्था में अमीर लोगों का अस्तित्व बेहतर हो रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत में गरीब ज्यादा टैक्स का भुगतान कर रहे हैं। वे अमीरों की तुलना में आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। बेहर ने कहा कि अब समय आ गया है कि अमीरों पर कर लगाया जाए और ये सुनिश्चित किया जाए कि वे अपने हिस्से का भुगतान करें।
बेहार ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से संपत्ति कर और विरासत कर जैसे प्रगतिशील कर लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ये कर असमानता से निपटने में प्रभावी साबित होते हैं।
ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए CLICK करें
फिल्म जगत की ख़बरें जानने के लिए CLICK करें
क्रिकेट से जुड़ी खबरें जानने के लिए CLICK करें
शेयर मार्केट और बिजनेस जगत की खबरें पढ़ने के लिए CLICK करें
विश्व जगत की ख़बरें जानने के लिए CLICK करें