Sachin Pilot Vs Gehlot: पायलट ने फिर साधा CM अशोक गहलोत पर निशाना, जयपुर ब्लास्ट केस की जांच पर उठाए सवाल

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Sachin Pilot Vs Gehlot: राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोला है। इस बार उन्होंने 2008 जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में 4 दोषियों के बरी होने को लेकर गहलोत पर निशाना साधा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट ने सीएम अशोक गहलोत के गृह विभाग पर सवाल उठाया है।

जयपुर ब्लास्ट केस की जांच पर उठाए सवाल

सचिन पायलट ने कहा कि सब जानते हैं कि विस्फोट हुए और सभी आरोपी पकड़े गए। अगर निचली अदालत से मौत की सजा पाए आरोपी हाईकोर्ट से सबूतों के अभाव में रिहा हो जाते हैं तो ये गंभीर मसला है। सभी जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। पायलट ने कहा कि हमें पीड़ितों को जवाब देना है, उन्हें इंसाफ दिलाना है। अगर कोर्ट से इंसाफ नहीं मिला तो कुछ कमी ज़रूर है।


पायलट ने ये बयान जयपुर में अपने आवास पर मीडिया से बातचीत के दौरान दिया। पायलट ने कहा कि गृह विभाग और विधि विभाग को ये देखना होगा कि फांसी की सजा दिए जाने के बाद भी अगर हाई कोर्ट में जांच में खामियां पाई जातीं हैं और आरोपी बरी होते हैं तो ये बेहद गंभीर मसला है। इसका मतलब है जांच ठीक से नहीं हुई, कमियां रही हैं। इस मामले में जिम्मेदार लोगों की जांच होनी चाहिए। ये कैसे हो गया?

हमें लोगों को जवाब देना होगा-पायलट

पायलट ने कहा कि निचली अदालत ने तमाम आरोपी को मौत की सजा सुनाई। सजा कम होना अलग बात है, लेकिन सबूतों के अभाव में अगर फांसी की सजा की जगह रिहाई हो जाती है तो ये बहुत गंभीर मामला है। जज भी नहीं चाहते थे कि आरोपियों को छोड़ा जाए, लेकिन उन्हें सबूतों के अभाव में रिहा करना पड़ा।
पायलट ने कहा कि ब्लास्ट में जो लोग मारे गए, हमें उनके परिजनों को जवाब देना होगा। जिन्होंने अपराध किया है, उन्हें दंडित करना ज़रूरी है। इस मामले को तार्किक अंजाम तक ले जाना हमारी जिम्मेदारी है। पायलट ने कहा कि मुझे लगता है कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार ब्लास्ट केस के सारे सबूत इकट्ठा करे और लोगों को न्याय दिलाए। अगर न्यायपालिका से न्याय नहीं मिल पाएगा तो जरूर कुछ कमी है।

राइट टू हेल्थ बिल पर क्या बोले सचिन पायलट?

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर पायलट ने कहा कि पिछले 12 दिनों से हड़ताल जारी है। अस्पताल और डॉक्टर का पक्ष सुनना चाहिए और कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए। सबसे चिंताजनक बात ये है कि हजारों लोग मेडिकल इमरजेंसी में इलाज का इंतजार कर रहे हैं, हालात में सुधार के लिए बातचीत जरूरी है। बातचीत से सब संभव है।


पायलट ने कहा कि अतीत में भी ऐसी बाधाएं आई। ये टकराव पहली बार नहीं हुआ है, लेकिन ये मामला बहुत मार्मिक है और मरीजों को प्रभावित करने वाला है। कई स्वास्थ्य योजनाओं और अधिकार देने के लिए कानून बनाए गए हैं। इस बिल को लेकर बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए। दोनों पक्षों से बैठकर बात करना चाहिए, ताकि जनता को परेशानी न हो। ये जिम्मेदारी हम सब की है।


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