SC against Hate Speech: नफरती बयानों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, तुरंत कार्रवाई के दिए निर्देश

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supreme court against hate speech
हेट स्पीच पर तुरंत कार्रवाई के निर्देश

हेट स्पीच (Hate speech) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने नफरत फैलाने वाले नेताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आज हुई सुनवाई के दौरान कहा कि धर्म की परवाह किए बिना तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. घृणा का माहौल देश में हावी हो रहा है. नफरती बयान काफी विचलित करने वाले हैं. ऐसे बयानों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.

उच्चतम न्यायालय में जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा 21वीं सदी में आखिर ये क्या हो रहा है? धर्म के नाम पर हम कहां जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि हमारा संविधान देश में वैज्ञानिक सोच विकसित करने की बात कहता है.

शाहीन अब्दुल्लाह की याचिका पर हुई सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी हेट स्पीच देने वाले नेताओं के खिलाफ UAPA के तहत कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान दी. ये याचिका शाहीन अब्दुल्लाह नाम के शख्स ने दाखिल की है. उन्होंने अपनी याचिका में मुसलमानों के खिलाफ घृणा फैलाने वालों मामलों की स्वतंत्र जांच कराने की मांग भी की गई है.

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हेट स्पीच के मामले में अदालत या प्रशासन कभी कोई कार्रवाई नहीं करता है. हमेशा स्टेटस रिपोर्ट मांगी जाती है और हेट स्पीच के आरोपी आए दिन कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहते हैं.

इस पर बेंच ने पूछा कि आप खुद कानून मंत्री रहे हैं? क्या तब कुछ किया गया था? नई शिकायत क्या है? इस पर कपिल सिब्बल ने बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के नफरती भाषण का मामला कोर्ट के सामने रखा. उन्होंने कहा कि ये भाजपा के एक नेता का दिया गया बयान है कि हम उनकी दुकान से नहीं खरीदेंगे, नौकरी नहीं देंगे. इस पर प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है इसलिए हम कोर्ट आए हैं.

सिब्बल ने कोर्ट को अन्य घटनाओं की भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हम क्या करें? कोर्ट का मौन रहना कोई जवाब नहीं है. हमें ये तय करने के लिए एक SIT  बनाने की ज़रूरत है कि हेट स्पीच फिर न दी जाए.

इसके बाद बेंच ने सवाल किया कि क्या मुसलमान भी हेट स्पीच दे रहे हैं? इस पर सिब्बल ने कहा कि उन्हें समान रूप से हेट स्पीच नहीं देनी चाहिए. इसके बाद बेंच ने कहा कि ये 21वीं सदी है और हम धर्म के नाम पर कहां के कहां पहुंच गए हैं?

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जज ह्रषिकेश रॉय ने कहा कि ये बयान बहुत ही परेशान करने वाले हैं. कोर्ट ने कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में ये वक्त बहुत चौंकाने वाला है. किसी समुदाय विशेष के खिलाफ ऐसे बयान सामने आ रहे हैं. अदालत ने ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे हैं. इस पर वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा जब मुस्लिमों के बायकॉट की बात कर रहे थे तब इस तरह के कार्यक्रम में पुलिस मौजूद होती है.


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