शहरों के नाम बदलने की ‘सनक’ को सुप्रीम कोर्ट से झटका! SC ने लगाई फटकार

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Major Blow to Renaming of Cities | सुप्रीम कोर्ट ने शहरों और ऐतिहासिक स्थलों के नाम बदलने की मांग करने वाली भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ याचिका दायर करने पर वकील अश्विनी उपाध्याय को फटकार लगाई है।

बेंच ने कहा कि हम धर्मनिरपेक्ष हैं और संविधान की रक्षा करने वाले हैं। आप इतिहास को लेकर चिंतित हैं और वर्तमान पीढ़ी पर इसका बोझ डालने की नीयत से इसे खोदते हैं। इस तरह से आप जो कुछ भी करते हैं वो लोगों में वैमनस्य पैदा करेगा।

एक समुदाय को बर्बर बताने पर आपत्ति- SC

कोर्ट ने कहा कि अश्विनी उपाध्याय इतिहास का चयन चुनिंदा तरीके से कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक पूरे समुदाय को बर्बर करार देने पर कड़ी आपत्ति जताई।

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि आप अतीत को चुनिंदा रूप से देखते हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। आप एक समुदाय विशेष पर उंगली उठा रहे हैं और बर्बर बता रहे हैं। क्या आप देश में उबाल लाना चाहते हैं? बेंच ने कहा कि हिंदू धर्म एक महान धर्म है और ये कट्टरता की अनुमति नहीं देता है।

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि मेटाफिज़िक्स के संदर्भ में हिंदू धर्म शायद सबसे बड़ा धर्म है। कृपया इसे छोटा मत बनाओ। दुनिया हमेशा हमें देखती है। आज भी मैं कह सकता हूं, मैं एक ईसाई हूं, लेकिन हिंदू धर्म से मुझे लगाव है और मैंने इसे समझने की कोशिश की है। इसकी महानता को समझने की कोशिश करो। किसी खास मकसद के लिए इसका इस्तेमाल न करें।

हिंदू धर्म कट्टरता की अनुमति नहीं देता- SC

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि ये जीवन जीने का एक तरीका है, हिंदू धर्म कट्टरता की अनुमति नहीं देता है। वहीं न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि केरल में, जहां से मैं आता हूं, हिंदुओं ने चर्च को जमीन दान की है।

न्यायमूर्ति नागरत्न ने कहा कि हमारा देश और भी कई समस्याओं का सामना कर रहा है, जिनका समाधान करना जरूरी है। उन्होंने भारतीयों को आपस में लड़ाने वाली अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति का भी जिक्र किया।

न्यायमूर्ति नागरत्न ने कहा कि हमारे देश में बहुत सारी समस्याएं हैं। हिंदू धर्म जीवन जीने का एक तरीका है जिसे सबने आत्मसात कर लिया है। इसी वजह से हम एक साथ रहने में सक्षम हैं। अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति ने हमारे समाज में विभेद पैदा किया। हमें इसे वापस नहीं लाना चाहिए। इसमें धर्म को नहीं घसीटना चाहिए।

SC to check constitutional validity of EWS Quota

सुप्रीम कोर्ट ने की याचिका खारिज

‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है’

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि उच्चतम अदालत पिछले फैसलों में ये तय कर चुकी है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और एक राष्ट्र अपने इतिहास का कैदी नहीं हो सकता है।

आपको बता दें कि अश्विनी उपाध्याय ने वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने गृह मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की थी कि विदेशी आक्रमणकारियों के द्वारा रखे गए शहरों के नामों का पता लगाने के लिए ‘रीनेमिंग आयोग’ का गठन किया जाए।

याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि भारत पर कई बार आक्रमण किए गए लेकिन स्थानों के नाम बदलने से इसे इतिहास से मिटाया नहीं जा सकता है।

क्या हम इतिहास फिर लिख सकते हैं?- SC

जस्टिस जोसेफ ने सवाल किया कि क्या हम इतिहास को फिर से लिख सकते हैं या क्या कह सकते हैं कि उन्होंने आक्रमण नहीं किया?

इस दौरान उपाध्याय ने कहा कि आक्रमणकारियों को संवैधानिक संरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतिहास किसी राष्ट्र के वर्तमान और भविष्य पर इस तरह मंडरा नहीं सकता है कि आने वाली पीढ़ियाँ अतीत की बंदी बन जाए। भाईचारे का सुनहरा सिद्धांत सबसे ज्यादा अहमियत रखता है और संविधान की प्रस्तावना में उसे उचित स्थान दिया गया है।

इसके बाद बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका वापस लेने की गुज़ारिश की लेकिन बेंच ने इसे नामंज़ूर कर दिया और खारिज कर दिया।

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