राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर प्रदेश में शुरू हुए सियासी संकट के बीच कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों ने सोनिया गांधी से अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर करने की मांग की है। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों ने शीर्ष पद के लिए किसी अन्य उम्मीदवार का चयन करने की मांग की है। बताया जा रहा है कि गहलोत गुट के विधायकों के इस्तीफा देने से कांग्रेस आलाकमान नाराज़ हैं।
सोनिया गांधी लेंगी बड़ा फैसला
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ सिंह और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल को दिल्ली तलब किया गया है। कमलनाथ दिल्ली पहुंच गए हैं और वो केसी वेणुगोपाल के साथ सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे और मौजूदा संकट का हल निकाला जाएगा।
इस बीच राजस्थान के विधायकों से मुलाकात करने के बाद प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फीड बैक देंगे।
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गहलोत की उम्मीदवारी पर होगा पुनर्विचार
राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच गहलोत खेमे के विधायकों के इस्तीफा देने की खबरों से सीडब्ल्यूसी सदस्य नाराज़ हैं। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक उन्होंने सोनिया गांधी से गहलोत की शिकायत की है और कहा है कि उन पर विश्वास कर उन्हें पार्टी की जिम्मेदारी देना ठीक नहीं होगा। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को उनकी उम्मीदवारी पर पुनर्विचार करना चाहिए।
इन नेताओं पर दांव आज़मा सकतीं हैं सोनिया गांधी
CWC सदस्यों ने सोनिया गांधी से एक ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने का आग्रह किया है जो वरिष्ठ हो और गांधी परिवार के प्रति वफादार हो। ऐसे हालात में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कमलनाथ सिंह, दिग्विजय सिंह और मुकुल वासनिक जैसे किसी अन्य नेता को अपना प्रत्याशी बना सकतीं हैं।
जयपुर में हुए घटनाक्रम से सोनिया नाराज़ !
इससे पहले अशोक गहलोत के कहने पर सोनिया गांधी ने दो पर्यवेक्षकों- मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को विधायकों से मिलने और उनकी राय जानने के लिए जयपुर भेजा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर रविवार शाम विधायक दल की बैठक हुई जिसमें सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायक शामिल हुए। हालांकि गहलोत के वफादारों ने कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर उनके साथ बैठक की। इसके बाद 90 से ज्यादा विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
दोनों तरफ से फंसे अशोक गहलोत
गहलोत के करीबी सूत्रों का कहना है कि विधायकों ने जो किया वो सही नहीं था। विधायकों को सोनिया गांधी के भेजे पर्यवेक्षकों के सामने विधायक दल की बैठक में आना चाहिए था। गहलोत भी चाहते थे कि सभी लोग विधायक दल में पर्यवेक्षक के सामने अपनी बात रखें।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व चाहता था कि विधायक बैठक में अपनी राय व्यक्त करें और अंतिम निर्णय सोनिया गांधी पर छोड़ दिया जाए। कांग्रेस में ऐसी परंपरा रही है, लेकिन गहलोत गुट के विधायकों को लगा कि आलाकमान पर फैसला छोड़ा तो वो सचिन पायलट को सीएम बना दिया जाएगा। ऐसे में उनका गुस्सा फूट पड़ा। वो नहीं चाहते कि किसी भी कीमत पर उस व्यक्ति को सरकार की बागडोर मिले जिसने कांग्रेस सरकार गिराने की कोशिश की।
गहलोत के वफादार चाहते हैं कि पायलट के बजाय उनके खेमे से किसी को अगला मुख्यमंत्री चुना जाए।
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